खामोश रातें

ख़ामोश रातों में तेरा ख़याल आता है,  
जैसे चांद के पीछे कोई छुपा सितारा।  

 

तेरी यादों का सिलसिला यूं चलता है,  
जैसे बारिश की बूंदों में छुपा हो प्यारा।

तू दूर सही, पर दिल के पास रहता है,  
तेरी हंसी की गूंज अब भी मेरे कानों में बसती है। 

 

आंखें बंद करूं तो तेरा चेहरा नजर आता है,  
जैसे बिछड़े हुए ख़्वाबों में कोई अपना हो छिपा।

तेरे बिना ये दिन भी उदास हो जाते हैं,  
रातें बेख़्वाब, और ख्वाब बेमायने से लगते हैं।  

 

पर उम्मीद की लौ अब भी जलती रहती है,  
कि किसी रोज़ तुझसे फिर मुलाकात होगी।


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