तो हम अपनी बातों को यूं ना घुमाते |
उनकी झलक पाने की खातिर ,
राह में उनके पलकें बिछाते ||
काश मेरे शब्द उन तक पहुंच जाते..
तकती अखियां सपना देखे दिन रात ,
शायद आए सावन की बरसात |
अपने गीतों से हम कजरी सुनाते ||
काश मेरे शब्द उन तक पहुंच जाते ...
क्यों रहता है मन रब के सहारे ,
कैसे मिलेंगे नदियों के किनारे ,,
बहती साथ मगर बेबसी की कहानी बताते |
काश मेरी शब्द उन तक पहुंचा जाते ...
तो हम अपनी बातों को यू न घुमाते ||